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प्रयागराज कुंभ 2019: कुंभ की शान हैं 13 अखाड़े, इन देवताओं संग लगाते हैं डुबकी

प्रयागराज कुंभ 2019: कुंभ की शान हैं 13 अखाड़े, इन देवताओं संग लगाते हैं डुबकी

1- जूना अखाड़ा –
कुंभ मेले में जूना अखाड़े का आकर्षण देखने योग्य होता है। इस प्रचीन अखाड़े का प्रधान कार्यालय वाराणसी में स्थित है। तकरीबन चार लाख साधुओं वाला यह सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है। इस अखाड़े के इष्टदेव दत्तात्रेय हैं, जो कि रूद्रावतार हैं। इस अखाड़े में महिला सन्यासिनें भी होती हैं। उनके रहने के लिए अलग स्थान होता है, जिसे अवधूतानी या माई बाड़ा कहते हैं। इसमें बड़ी संख्या में विदेशी साधु भी शामिल होते हैं।

2- अटल अखाड़ा –
अटल अखाड़े के इष्टदेव आदि गणेश हैं। लगभग 700 साधुओं की संख्या वाले इस अखाड़े का प्रधान कार्यालय भी काशी में हैं। इसमें महिला संत नहीं होती हैं। शस्त्र के रूप में इस अखाड़े में भाले की पूजा की जाती है। जिसे सूर्य प्रकाश के नाम से जाना जाता है। इस अखाड़े में दो ध्वजा खड़ी की जाती है – धर्म ध्वजा और पर्व ध्वजा। धर्म ध्वजा मेले में प्रवेश करते ही खड़ी कर दी जाती है, जबकि पर्व ध्वजा स्नान करने जाते समय खड़ी की जाती है।

3- आनंद अखाडा –
आनंद अखाड़े का प्रधान कार्यालय वाराणसी में है। इस अखाडे के इष्टदेव सूर्य है।

4- आह्रवान अखाडा –
इस अखाड़े का प्रधान केंद्र काशी में दशाश्वमेध घाट पर है। इस अखाड़े के इष्टदेव श्री गणेश जी हैं। इस अखाड़े में तकरीबन 12,000 साधू हैं। इस अखाड़े में भाले को देवता के रूप में पूजा जाता है। इस अखाड़े का प्रधान कार्यालय वाराणसी में स्थित है।

5- निरंजनी अखाड़ा –
इस अखाड़े के इष्टदेव कार्तिकेय हैं। इस अखाड़े का प्रधान कार्यालय इलाहाबाद में है। इस अखाड़े में लगभग 10,000 साधू हैं।

6- महानिर्वार्णी अखाड़ा – 
इसका मुख्यालय इलाहाबाद में है। महानिर्वाणी अखाड़े के इष्टदेव कपिल महामुनि हैं। इस अखाड़े में लगभग 6,000 साधु हैं। इस अखाड़े में भी दो ध्वजा फहराई जाती है।

7- पंच अग्नि अखाडा –
इस अखाड़े का प्रधान कार्यालय वाराणसी में है। इस अखाड़े में माता गायत्री एवं अग्नि की पूजा की जाती है। इस अखाड़े में तकरीबन 3,000 हजार साधू हैं।

""जय श्रीराम ""
बैरागियों के तीन अखाड़े 
( हरिप्रिया)


8- दिगंबर अखाड़ा –
इस अखाड़े के इष्टदेव बालानंद स्वामी हैं। इस अखाड़े में महिला संत नहीं होती हैं।

9- निर्मोही अखाड़ा –
निर्मोही अखाड़े की स्थापना रामानंदाचार्य जी ने की थी। इस अखाड़े के इष्टदेवता हनुमान जी हैं। इस अखाड़े में लगभग 15 हजार साधु हैं।

10- निर्वाणी अखाड़ा –
निर्वाणी अखाड़े का प्रधान कार्यालय अयोध्या है। इस अखाड़े के इष्ट देवता हनुमान जी हैं। इस अखाड़े के साधू उर्ध्वपुंड तिलक लगाते है।

उदासीन परंपरा के दो अखाड़े
11- पंचायती बडा उदासीन अखाडा –
इस अखाड़े के इष्टदेव पंचदेव (गोलासाहिब) हैं। इस अखाड़े का प्रधान कार्यालय इलाहाबाद में स्थित है। इस अखाड़े में लगभग 20,000 साधु हैं।

12- पंचायती नया उदासीन अखाड़ा –
इस अखाड़े का प्रधान कार्यालय हरिद्वार के कनखल में स्थित है। इस अखाड़े में तकरीबन 5,000 साधु हैं। इस अखाड़े में पंचदेव की पूजा की जाती है।

सिख परंपरा से जुड़ा अखाड़ा
13 - निर्मल अखाड़ा - 
इस अखाड़े की स्थापना गुरू गोविंद जी के सहयोगी वीरसिंह द्वार की गई थी। इस अखाड़े का प्रधान कार्यालय हरिद्वार में स्थित है। इस अखाड़े में महिला साधू नहीं होती हैं। इस अखाड़े के साधू गुरूग्रंथ्ा साहिब की पूजा करते हैं।

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