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'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर राजनीति शुरू, अनुपम खेर ने राहुल गांधी को दी यह सलाह

'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर राजनीति रंग चढ़ना शुरू हो चुका है। फिल्म को लेकर कांग्रेस बचाव के मोड में आ गई है। उसने मध्यप्रदेश में फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी है। वहीं माना जा रहा है कि कांग्रेस शासित सभी राज्यों में भी इसपर रोक लग सकती है। मध्यप्रदेश कांग्रेस नेता ने मांग की है कि या तो फिल्म रिलीज से पहले हमें दिखाएं या फिर हम इसे राज्य में रिलीज नहीं होने देंगे। भाजपा ने इस फिल्म को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके अपना समर्थन दे दिया है वहीं कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने इसे ध्यान भटकाने की एक कोशिश बताया है। विवादों के बीच अनुपम खेर ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को एक सलाह दी है। फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का किरदार निभाने वाले खेर का कहना है कि फिल्म का विरोध करने का कोई मतलब नहीं है। 


अनुपम खेर ने कहा, 'जितना ज्यादा वह (कांग्रेस) फिल्म का विरोध करेंगे, फिल्म को इससे उतनी ही लोकप्रियता मिलेगी। फिल्म 2014 में रिलीज हुई थी तब से अब तक कोई प्रदर्शन नहीं हुआ था जबकि फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर आधारित है।'

खेर ने कहा, 'उन के (कांग्रेस) नेता पर फिल्म बनी है उन्हें खुश होना चाहिए। आपको भीड़ लेकर भेजनी चाहिए फिल्म देखने के लिए क्योंकि उसमें डायलॉग हैं जैसे- मैं देश को बचाउंगा। जिस से लगता है कि कितने महान हैं मनमोहन सिंह जी।' महाराष्ट्र युवा कांग्रेस भी फिल्म का विरोध कर रही है इसपर खेर ने कहा, 'हाल ही में मैंने राहुल गांधी जी का ट्वीट पढ़ा था। जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उन्होंने बोला था। तो मुझे लगता है कि उनको डांटना चाहिए उन लोगों को कि आप गलत बात कर रहे हो।'


फिल्म के ट्रेलर को ट्विटर पर साझा करते हुए भाजपा ने लिखा, 'इस फिल्म की कहानी बड़ी दिलचस्प है जो बताती है कि कैसे एक परिवार ने दस सालों तक देश को बंधक बनाकर रखा था। क्या डॉक्टर सिंह केवल तब तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे जब तक कि उसका राजनीतिक शासक तैयार न हो जाए? 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' का आधिकारिक ट्रेलर देखिए जो अंदरूनी सूत्र के हवाले पर आधारित है। फिल्म 11 जनवरी को रिलीज हो रही है।'

द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर : जानिए कौन हैं संजय बारू और क्या थे उनकी किताब के खुलासे


द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म इन दिनों हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है। यह फिल्म संजय बारू की किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टरः द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' पर आधारित बताई जा रही है। ऐसे में संजय बारू के बारे में जानना भी जरुरी हो जाता है। 
संजय बारू मई 2004 से अगस्त 2008 तक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता रह चुके हैं। अप्रैल 2018 में अपने इस्तीफे से पहले वह फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के चेयरमैन के तौर पर काम कर रहे थे। पत्रकार के तौर पर वह टाइम्स ऑफ इंडिया और इकोनॉमिक टाइम्स के एसोसिएट एडिटर और बिजनेस स्टैंडर्ड के चीफ एडिटर रह चुके हैं। मनमोहन सिंह के वित्त सचिव रहने के दौरान संजय बारू के पिता  बी. पी.आर विट्ठल योजना और वित्त सचिव थे।

 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुभवों को एक किताब का रूप दिया था। उनकी इस किताब ने राजनीति में भूचाल ला दिया था। किताब के जारी होने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दफ्तर ने इस किताब की आलोचना करते हुए इसे अपने पद का दुरुपयोग करके आर्थिक फायदा उठाने वाला कदम बताया था।


किताब से आया था राजनीतिक भूचाल


अपनी किताब द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टरः द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह में संजय बारू ने दावा किया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह ने उनसे कहा कि किसी सरकार में सत्ता के दो केंद्र नहीं हो सकते। इससे गड़बड़ी फैलती है। मुझे मानना पड़ेगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र हैं, सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है।


संजय बारू ने अपनी किताब में लिखा था कि मनमोहन सिंह की रीढ़विहीनता समझ के परे थी। अगर वो अपने ही दफ्तर में अपनी पसंद के अधिकारियों की नियुक्ति करवा पाने में अक्षम थे तो इसका मतलब ये था कि उन्होंने बहुत जल्दी ही दूसरों को जगह दे दी थी।सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद सुपर कैबिनेट की तरह काम करती थी और सभी सामाजिक सुधारों के कार्यक्रमों की पहल करने का श्रेय उसे ही दिया जाता था। मनमोहन सिंह के  आलम यह था कि अमेरिका जैसे देश की यात्रा कर वापस आने के बाद विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मनमोहन सिंह को ब्रीफ करने की जरूरत नहीं समझी थी।

सोनिया गांधी का जून 2004 मे सत्ता त्याग देना अंतरआत्मा की आवाज सुनने का नतीजा नहीं था बल्कि एक राजनीतिक कदम था।
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