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सो गया 'डराकर हंसाने वाला' इंसान, बहुत याद आओगे कादर ख़ान!


81 बरस की उम्र में कादर खान ने अपनी आंखें बंद कर लीं. अफगानिस्तान से हिंदुस्तान के रास्ते गुजरता ये सफर कनाडा जाकर थम गया. तब किसे पता था कि सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किये कादर खान की मंजिल बॉलीवुड है. शुरूआती संघर्षों के बाद फ़िल्म रोटी ने कादर ख़ान की किस्मत बदल दी.

उन्हें पहली बार किसी फ़िल्म में डायलॉग लिखने के लिये फीस के तौर पर 1 लाख रुपये मिले थे. और फिर जब ये सिलसिला शुरू हुआ तो कभी थमा नहीं. कहा ये भी जाता है कि अमिताभ बच्चन को संवारने में कादर ख़ान का बहुत योगदान रहा. शराबी, अग्निपथ, सत्ते पे सत्ता ऐसी फ़िल्में थीं जिनके डायलॉग लोगों की जुबां पर छा गये और अमिताभ के कैरियर को भी नया मुकाम हासिल हुआ.

अपने विशिष्ट अभिनय, संवाद लेखन और फिल्म जगत में अपनी अलग-अलग भूमिका को लेकर देश और दुनिया में विशेष छाप छोड़ने वाले जाने-माने कलाकार कादर खान की यादें धर्मनगरी हरिद्वार से भी जुड़ी हुई है। कादरखान ने अक्टूबर 2015 में हरिद्वार में बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ में रहकर अपना इलाज कराया था। 

वे बीमारी से लड़कर उसे मात देना चाहते थे, यह उनकी इसी बात से साबित हो जाता है कि जब वे पतंजलि इलाज के लिए जा रहे थे तो वे रास्ते भर अपने परिवार वालों से बस यही पूछ रहे थे कि 'मैं ठीक तो हो जाऊंगा ना

जाने-माने अभिनेता एवं लेखक कादर खान (Kader Khan Death) का 31 दिसम्बर को निधन हो गया। 81 वर्षीय खान लंबे समय से बीमार चल रहे थे। खान कनाडा के एक अस्पताल में भर्ती थे। उनके बेटे ने बताया कि अभिनेता का अंतिम संस्कार भी वहीं किया जाएगा। खान के बेटे सरफराज ने 'पीटीआई-भाषा से कहा, 'मेरे पिता हमें छोड़कर चले गए। लंबी बीमारी के बाद 31 दिसम्बर शाम छह बजे (कनाडाई समय) उनका निधन हो गया। वह दोपहर को कोमा में चले गए थे। वह पिछले 16-17 हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे।'
उन्होंने कहा, 'उनका अंतिम संस्कार कनाडा में ही किया जाएगा। हमारा सारा परिवार यहीं है और हम यहीं रहते हैं, इसलिए हम ऐसा कर रहे हैं।' सरफराज ने कहा, 'हम दुआओं और प्रार्थना के लिए सभी का शुक्रिया अदा करते हैं। अभिनेता के निधन से एक दिन पहले भी उनके निधन की खबर आई थी, लेकिन उनके बेटे ने उन खबरों को खारिज किया था।'
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