सारा अली खान की पहली फिल्म
पटौदी के नवाब सैफ अली खान और उनकी पहली पत्नी अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान की पहली फिल्म राम राम करते रिलीज हो ही गई। फिल्म ने बनने से लेकर रिलीज होने तक इतना तूफान देखा है कि कई बार लगता है कि फिल्म की कहानी में दिखाया गया तूफान इसके आगे कम है। हिमालय की वादियों में डायरेक्टर अभिषेक कपूर ने एक लव स्टोरी बुनी है। हिंदी सिनेमा में लव स्टोरी के मायने होते हैं, इजहार, इकरार और जमाने का इंकार। इन तीनों से होकर ये कहानी भी गुजरती है बस फिल्म अटक जाती है तो एक अधपके इमोशन्स और मोहब्बत के सुर न पकड़े पाते संगीत में।केदारनाथ कहानी है एक पुजारी की बेटी की, जिसे एक मुसलमान पिट्ठू से प्यार हो जाता है।Kedarnath Review |
हिमालय की वादियों की खूबसूरती को परदे पर पेंटिंग की तरह उतारा
हर प्रेम कहानी का पहला फॉर्मूला यही होता है कि लड़के और लड़की का बैकग्राउंड उनका दुश्मन होना चाहिए। दोनों में बेपनाह मोहब्बत होनी चाहिए और क्लाइमेक्स में होना चाहिए कुछ ऐसा कि लगे सब कुछ खत्म होने वाला है। डायरेक्टर अभिषेक कपूर ने इसके लिए केदारनाथ में मची तबाही को फिल्म का बैकड्रॉप बनाया है। तमाम कंप्यूटर ग्राफिक्स लेकर स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए दर्शकों में कौतूहल बनाने की कोशिश की है। ड्रोन कैमरा उड़ाकर हिमालय की वादियों की खूबसूरती को परदे पर पेंटिंग की तरह उतारा है। बस कुछ नहीं किया है तो वह है फिल्म की कहानी पर काम।Kedarnath Review |
फिल्म की फोटोग्राफी अच्छी है।
धार्मिक पर्यटन स्थलों पर उमड़ती भीड़, उनको सेवा देने के लिए बनने वाले होटल और इमारतें और साथ में कुदरत पर बढ़ता इंफ्रास्ट्रक्चर का दबाव। नए जमाने के दर्शकों के लिए ये एक बेहतरीन विषय हो सकता था। फिल्म की कहानी इस तरफ जाती तो है पर बस छूकर निकल जाती है। यही गलती डायरेक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी मोहल्ला अस्सी में कर चुके हैं। अभिषेक कपूर ने इसे केदारनाथ में दोहरा दिया है। फिल्म की फोटोग्राफी अच्छी है। डायरेक्शन भी अभिषेक कपूर का बुरी नहीं है। लेकिन जितनी मजबूत कहानी का साथ उन्हें रॉक ऑन या काय पो छे में मिला था, वैसा यहां नहीं है।
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इतिहास केदारनाथ में खुद को दोहराता दिख रहा है
एक्टिंग के मुकाबले में सारा अली खान सौ में सौ नंबर लेकर निकल लीं। सुशांत राजपूत ऐसा लगता है कि बस सारा अली खान को सपोर्ट करने के लिए ही फिल्म में हैं। उनकी एक्टिंग इससे आगे का इम्तिहान मांगती है। सुशांत बढ़िया एक्टर हैं भी, पर इस किरदार में करने के लिए उनके पास ज्यादा कुछ है नहीं। सारा अली खान अपनी मां अमृता सिंह की सारी शोखियां समेट लाई हैं। पिता का डीएनए उनके अल्हड़पन में दिखता है। हिंदी सिनेमा के लिए सारा देखा जाए तो आलिया भट्ट और जान्हवी कपूर जैसे स्टार किड्स से कहीं आगे की बात दिखती हैं। फिल्म देखकर बाहर निकलने पर कुछ याद रह जाता है तो बस सारा अली खान का पहली ही फिल्म में दिखाया गया कॉन्फीडेंस और उनका सरल सहज व्यहार। कोई 22 साल पहले रानी मुखर्जी ने हिंदी सिनेमा में राजा की आएगी बारात से डेब्यू किया था। उस फिल्म में भी लोगों को हीरोइन का काम बहुत पसंद आया। फिल्म नहीं चली लेकिन रानी मुखर्जी का करियर चल निकला। इतिहास केदारनाथ में खुद को दोहराता दिख रहा है।Kedarnath Review |
पहाड़ की कहानी है लेकिन कहीं किसी गाने में कुमाउंनी या गढ़वाली टच नहीं दिखता
फिल्म को सबसे ज्यादा अगर किसी चीज ने नुकसान पहुंचाया है तो वो है इसका संगीत। अमित त्रिवेदी के संगीत करियर की ये फिल्म काफी बड़ी चुनौती रही है लेकिन अनुराग कश्यप का सिनेमा करते-करते वह हिंदुस्तानी मिट्टी से जुड़ा संगीत भूल चुके हैं। पहाड़ की कहानी है लेकिन कहीं किसी गाने में कुमाउंनी या गढ़वाली टच नहीं दिखता। मुंबई के स्टूडियो में बैठकर उन्होंने मुंबइया संगीत बना दिया है। ये भूल गए कि एक प्रेम कहानी की जान होता है ऐसी फिल्मों का संगीत। अरिजीत सिंह के दोनों गाने काफिराना और जां निसार औसत से ऊपर नहीं जाते। हां, जां निसार को जब असीस कौर के सुर मिलते हैं तो उसका असर होता है।नई हीरोइन को देखना हो तो फिल्म केदारनाथ बुरी नहीं है। लेकिन, वीकेंड पर जेब से पांच सौ रुपये खर्च करके अपने साथी के साथ सिनेमाघरों में फिल्म देखने जाना थोड़ा महंगा फैसला होगा। इंतजार कीजिए फिल्म के वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म तक आने का। अमर उजाला डॉट कॉम के रिव्यू में फिल्म केदारनाथ को मिलते हैं ढाई स्टार।Kedarnath Review |