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Zero Review: शाहरुख के कमजोर होते करिश्मे की औसत कहानी है 'जीरो', फिल्म देखने से पहले पढ़ें रिव्यू


फिल्म – जीरो
निर्देशक – आनंद एल राय
कलाकार – शाहरुख खान, कटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, जीशान अयूब और तिग्मांशु धूलिया।
रेटिंग – **1/2

अनुभव सिन्हा, फराह खान, राहुल ढोलकिया, इम्तियाज अली और आनंद एल राय। इन सारे निर्देशकों को अपने अपने हुनर की अच्छी पकड़ रही है। सबने शाहरुख खान की फिल्म निर्देशित करने के सपने अपने करियर के शुरुआती दौर में देखें और इन सबमें शाहरुख ने भरोसा करके अपनी फिल्म का निर्देशन भी सौंपा। शाहरुख खान अच्छे अभिनेता हैं। बहुत-बहुत मशहूर सुपरस्टार हैं और इन सबसे ऊपर एक ब्रांड हैं। ब्रांड कोई तब बनता है जब उसमें करोड़ों लोगों का भरोसा बनता है। ये भरोसा टूटता है जब बड़े-बड़े दावों की असल तस्वीर बेढंगी निकलती है। शाहरुख खान के साथ भी रा-वन के बाद से ये लगातार हो रहा है। जीरो इसी टूटते भरोसे की अगली कड़ी है।
Zero Review
एक नकली से दिखने वाले मेरठ में शुरू हुई 38 साल के बउआ सिंह (शाहरुख खान) की कहानी है ये। बउआ अपने पिता (तिगमांशू धूलिया) को नाम लेकर बुलाता है। अपने बौने होने का इल्जाम भी वह उन्हीं पर तारी करता है। काइयांपन उसमें टूट-टूटकर भरा है। जिस लड़की आफिया (अनुष्का शर्मा) पर उसका दिल आ जाता है, उसे रिझाने के लिए वह 6 लाख रुपये सिर्फ एक फाइव स्टार होटल में गाना गाने के इंतजाम पर खर्च कर देता है और ऐन शादी के दिन डांस कॉम्पिटीशन में हिस्सा लेकर अपने सपनों की रानी सुपरस्टार बबीता कुमारी (कैटरानी कैफ) के साथ वक्त बिताने का ईनाम जीतने के लिए बंबई भाग जाता है। साल भर बाद उसे लगता है कि आफिया के साथ उसने अच्छा नहीं किया तो वह सीधे अमेरिका पहुंच जाता है, आफिया से माफी मांगने।
Zero 
यहां उसे पता चलता है कि वो एक रात जो उसने सिर्फ आफिया को सबक सिखाने के लिए उसके साथ बिताई थी, वह अब एक बच्ची की शक्ल में उसके सामने है। फिर आगे बच्ची का क्या होता है ये फिल्म नहीं बताती। यहां आफिया का दिल जीतने के लिए बउआ वह कर गुजरता है जिसकी उम्मीद आफिया को भी नहीं होती। कहानी के सिरे जोड़ने के लिए बउआ का दोस्त गुड्डू (जीशान अयूब) भी बीच-बीच में कलाकारी करता रहता है। फिल्म 15 साल की छलांग के बाद आसमान से समंदर में गिरे स्पेस कैप्सूल से निकलते बउआ के हाथ पर खत्म हो जाती है। शायद जीरो के बाद वन बनाने का ख्याल इसके मेकर्स को इस सीन के साथ रहा होगा।
Zero (Meerut)
निर्देशक आनंद एल राय की कामयाबी में उनके लेखक हिमांशु शर्मा का बड़ा योगदान रहा है हालांकि तनु वेड्स मनु सीरीज और रांझणा से पहले हिमांशु ने 11 साल पहले आनंद एल राय की पहली फिल्म स्ट्रेंजर्स भी लिखी, जिसके चार साल बाद दोनों मिलकर तनु वेड्स मनु बना पाए थे। किसी लेखक पर किसी निर्देशक का इतना ऐतबार होना अच्छा भी है लेकिन फिल्म के लिए शाहरुख खान मिल जाए तो फिर लेखक और निर्देशक का असली हुनर उनके हाथ से कब फिसल जाता है, ये समझ भी नहीं आता। 

Zero 
जीरो की दिक्कत यही है। शाहरुख का वामन अवतार शुरू में तो रोमांचित करता है लेकिन ये रोमांच खत्म होने के बाद कहानी में बचता है तो बस एक प्रेम त्रिकोण और दो ऐसी नायिकाएं जिनमें से एक शारीरिक रूप से कमजोर है और दूसरी भावनात्मक स्तर पर। बबीता कुमारी का दिल उनके प्रेमी (अभय देओल) ने तोड़ दिया है और आफिया है तो दुनिया की मशहूर स्पेस साइंटिस्ट पर अपनी शारीरिक कमजोरियों के चलते वह खुद भी मानती है कि कोई उसे शादी लायक नहीं समझता। ये अलग बात है कि खुद अपने इस किरदार को लेखक ने बाद में एक और स्पेस साइंटिस्ट (आर माधवन) से उसकी बात शादी तक पहुंचाकर कमजोर कर दिया। फिल्म की कहानी के यही झोल जीरो को कमजोर करते हैं।आनंद एल राय छोटे शहरों की कहानी को बड़ा विस्तार देने के लिए जाने जाते हैं। जीरो में भी उनकी कोशिश यही रही है। वह शाहरुख खान के फैन्स का दिल जीतने की कोशिश करते हैं और अपने फैन्स का दिल तोड़ देते हैं। स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए बउआ बनाने की चुनौती भी उनके सामने रही और चुनौती इस बात की भी कि अनुष्का और कैटरीना जैसी दो दमदार कलाकारों को एक ही फिल्म में बैलेंस कैसे करें? लेकिन, हर कोई तो यश चोपड़ा नहीं बन सकता ना। तो सामने आती है एक ऐसी फिल्म जिसमें मसाला भरपूर है लेकिन सालन गायब है। आनंद एल राय को इस बार उनकी म्यूजिक टीम का भी वैसा साथ नहीं मिला, जैसा कि रांझणा और तनु वेड्स मनु में मिला था।
Zero
जीरो में गिनती करने को सलमान खान हैं, श्रीदेवी हैं, काजोल हैं, रानी मुखर्जी हैं, जूही चावला हैं, करिश्मा कपूर हैं, आलिया भट्ट हैं और दीपिका पादुकोण भी हैं। बस कुछ नहीं है तो है दर्शकों को आखिर तक बांध रखने वाली कहानी। आनंद एल राय की मेहनत फिल्म में दिखती है और फिल्म देखते समय उनसे सहानुभूति भी होती है, लेकिन सहानुभूति से फिल्में नहीं चलतीं। सिनेमा का यही कड़वा सच है और इस सच का सामना करना शाहरुख खान के लिए करियर के ढलते पड़ाव पर आसान नहीं होगा। 



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